मैं शिवनारायण शर्मा, मेरी कोई विशेष पहचान नहीं है न ही मैं कोई मशहूर हस्ती हूँ,
मैं एक आम इन्सान हूँ इस देश में भ्रष्टाचार या कुछ यूँ कहा जाये कि इन भ्रष्टाचारी
नेताओं ने एक पूरा भ्रष्टतंत्र का जाल पूरे देश में तैयार कर दिया है, जिसमें ऊपर
से लेकर नीचे तक कोई न कोई किसी न किसी रूप में बिक रहा है व बिकने के लिये तैयार
हैं, जिस विभाग में जाकर देखो हर विभाग में सरकारी कुर्सी की कीमत लगाई जाती है और
बोलियाँ आपस में बैठ कर यह भ्रष्ट नेता तय करते हैं और पैसा इकट्ठा करके मुखिया तक
पहुँचाया जाता है और यह समाज के हर वर्ग को मालूम है मगर वह कुछ नहीं कर पाता
क्योंकि धनवान लोग तो अपनी कमाई में व्यस्त रहते हैं तो उन्हें कोई मतलब नहीं होता,
मध्यम वर्गीय परिवार इसमें पिसता तो है, मगर वह इस भ्रष्ट तंत्र द्वारा कुछ इस
तरीके से बंध गया है कि वह इस चाहकर भी इसका विरोध करने का साहस नहीं कर पाता
क्योंकि उसके पास इतना वक्त ही नहीं बच पाता है और गरीब परिवार तो खुद भूखे मरने की
स्थिती में हैं तो वह क्या विरोध कर पायेंगे|
इस पूरी परिभाषा को इन भ्रष्ट नेताओं द्वारा समझने की वजह से वे बेखौफ होकर इस देश
व इस देश की जनता के हक को लूटने में लगे हुये हैं| देखा जाये तो इस देश में ५% ऐसे
लोग हैं जिनके सामने कैसी भी परिस्थिती आ जाये वो अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं
करते व ईमानदारी की राह पर चलते रहते हैं अगर वे कोशिश भी करना चाहते हैं कि चलो
समझौता करते हुये जिन्दगी जी जाये मगर कदम-कदम पर सिद्धांन्त हावी हो जाता है और वे
अन्याय का विरोध करते हैं, परिणाम स्वरूप उन्हें नुकसान भी झेलना पड़ता है| ५% लोग
ऐसे हैं जो किसी भी परिस्थिती में भ्रष्टाचार व बेईमानी के आचरण को छोड़ते नहीं हैं
व मौका पड़ते ही चिंदी चोरी करने जैसे काम को भी करने से नहीं हिचकिचाते अगर इनके
सामने ठण्ड से कराहता कोई गरीब भिखारी जिसके तन पर फटा हुआ चीथड़ा ही क्यूँ न हो उसे
हड़पने में भी पीछे नहीं हटते| ९०% ऐसा वर्ग है जो माहौल के अनुसार अपने आप को ढाल
लेता है|
एक जमाना था हम लोग स्कूलों में पढ़ने जाते थे तब हमारे गुरू हम लोगों को सच्चाई व
ईमानदारी पर चलने की शिक्षा देते थे व बहादुरी के किससे सुनाया करते थे| हमारे
पिताश्री धार्मिक पुस्तकों या गीता प्रेस गोरखपुर जैसी संस्था द्वारा छापी गई ज्ञान
वर्धक पुस्तकें हम लोगों के पढ़ने के लिये मंगवाया करते थे व अगर कहीं किसी बच्चे का
जन्मदिन वगैरह रहता था तो ऐसी ज्ञान वर्धक पुस्तकों को तोहफों के रूप में दिया जाता
था, जिनको पढ़कर हम लोगों के रोम-रोम में अन्याय के विरूद्ध आवाज उठाने की अलग ही
ज्योत जली, डर नाम की चीज़ तो कभी दिलो-दिमाग में रही ही नहीं उस वक्त हिन्दू -
मुस्लिम के बारे में हम जानते ही नहीं थे, कि कौन हिन्दु हैं, और कौन मुसलमान|
Emergency के दौरान ग्वालियर में माननीय श्री. अटल बिहारी वाजपेयी जी का भाषण सुना
था जो बहुत ही प्ररणादायक था| हम भोपाल पहुँचे और वहाँ प्रिन्टिंग प्रेस खोली जिस
कॉलोनी में हम रहते थे उसके पास का मौहल्ला मुस्लिम बहुल क्षेत्र था, हमारी कॉलोनी
में मुस्लिम लड़के आ कर हंगामा करते थे व कॉलोनी के बच्चों को कॉलोनी के मैदान में
खेलने नहीं देते थे| हम लोगों के दिलों में डर नाम की बात तो थी ही नहीं दूसरे
बच्चों ने कहा कि "इनसे मत टकराओ नहीं तो ये तलवार से काट देंगे"| हम लोग नहीं डरे
व कॉलोनी के अपने मैदान में खेलना शुरू कर दिया, एक दो बार डराने धमकाने की कोशिश
हुई, मगर जब उन लोगों ने देखा कि हम लोग नहीं डर रहे हैं, तो उन लोगों ने आना बन्द
कर दिया| इस प्रकार कॉलोनी के बच्चों के दिलों से उनका डर समाप्त हो गया| हम लोगों
ने प्रिन्टिंग प्रेस खोली, तो मुस्लिम बहुल क्षेत्र काजी कैम्प जैसी जगह पर खोली,
जहाँ आसपास सभी मुस्लिम लोग ही रहते थे| उस वक्त हिन्दु-मुस्लिम दंगे हुये थे पुरे
भोपाल में कर्फ्यू लगा था, हमारी प्रेस मुस्लिम मौहल्ले में थी, हम बिना किसी डर के
वहाँ जाते थे और काम खत्म करके वापिस आ जाते थे जबकि उसी जगह थोड़ी दूरी पर हिन्दुओं
को कुछ मुस्लिम लोगों ने मारा था| जिसकी तहकीकात की तो मालूम पड़ा कि चार पाँच मवाली
मुस्लिम लड़के थे जो ऐसे कार्य करके दहशत फैलाने का काम कर रहे थे| यह सब कहने का
तात्पर्य यह है कि अगर हम बिना डरे एकजुट होकर किसी भी भी अन्याय या भ्रष्टाचार का
विरोध करें तो उसे बड़ी आसानी से काबु में लाया जा सकता है इसी प्रकार कॉलोनी में
धार्मिक कार्यों में भाग लेने की सोची तो मालूम पड़ा उसमें भी भ्रष्टाचार हो रहा है
मन में जोश था दिल ने कहा कि हमें इस भ्रष्टाचार को खत्म करना है और एक नये रुप में
आयोजन करना है, जिसके आयोजन प्रति लोगों का विश्वास बड़े, परिणाम पूरे धार्मिक उत्सव
को संभालने की जिम्मेदारी हम पर ही आ गई जिसे हमने पूरी ईमानदारी से निभाया और पहले
आयोजित करने गुट को पीछे हटना पड़ा|
इसका तात्पर्य यह है कि अगर हम किसी भी कार्य को करने की इच्छा मन में ठान लें और
उसे सुनियोजित तरीके से संगठित होकर क्रियान्वित करें तो मन्जिल आसानी से प्राप्त
कर सकते हैं| अगर देखा जाये तो माननीय बाबा साहेब अंबेडकर जी ने इस देश की जनता को
कानूनी रूप से एक नई आजादी दी थी, जिसे जनता अगर उपयोग करती, तो यह भ्रष्टतंत्र का
जाल जो पूरे देश में फैल चुका है, वह न फैला होता और भ्रष्टाचारी जेल में होते|
संसद में जनता के वे ईमानदार प्रतिनिधी पहुँचते, जो जनता से पूछकर संसद में
कार्यवाही पर फैसले करते व जनता के फायदे के कानून व बिल पास करते, न कि कानून को
पंगु बना देने वाले यह भ्रष्टाचारी नेता पहुँचते (जो यह कहते हैं कि हम तीस-चालीस
साल से गाँव-गाँव घूम कर नेता बने हैं जिसकी हिम्मत है हमें यहाँ से हटा सके)
इन्हीं भ्रष्ट नेताओं ने अपने घमण्ड के नशे में चूर होकर पूरे देश को
भ्रष्टाचारियों के चंगुल में फँसा दिया है और एक भ्रष्ट तंत्र का जाल पूरे देश में
बुन दिया है जिसमें जनता हर स्तर पर फँसी हुई है| अगर देखा जाये तो देश में बदलाव या
क्रान्ति हमारा वह वर्ग लायेगा जो समझदार, ईमानदार व जागरूक है जो यह भी जानता है
कि किसी भी प्रकार की कोशिश की जाये या बदलाव में किसी का भी साथ दें तो साँपनाथ की
जगह नागनाथ आ कर बैठ जायेगा| अतः कुछ न करना ही ठीक है क्योंकि यही वर्ग बदलाव ला
सकता है, अतः अगर इन्हें कुछ आश्वासन मिले, जैसे मैं अगर विरोध करूँ तो मैं अकेला
नही हूँ, मैं अगर विरोध करूँ तो मेरी आर्थिक स्त्रोत में कमी नहीं आयेगी (यानि समय
न देना पड़े) मुझे किसी भी प्रकार की शारिरीक हानी न उठानी पड़े, अगर मुझे कुछ हो
जाये तो मेरे परिजनों की परवरिश में किसी प्रकार की कमी न आये| और अगर उन्हें
आश्वासन मिले तो वह अवश्य साथ में खड़े दिखाई देंगे, जबकि हम लोग ऐसे लोगों को जलील
करते हैं और कहते हैं, तुम लोग नामर्द हो, कायर हो जिसकी वजह से हकीकत को यह लोग
समझते हुये अपनी बेइज्जती को चुपचाप सुनते
हैं और ज्यादा होने पर घर में जाकर बैठ जाते हैं और सोचते हैं कि जो होना है, होने
दो और भगवान भरोसे छोड़ देते हैं| अगर हम इन लोगों को जलील करने के बजाय इन की
भावनाओं की कद्र करते हुये इज्जत करें, जो कि हम सब में भी है और समय आने पर उजागर भी हो जाती है, तो
कम से कम यह लोग हमारे साथ आकर इस स्वतंत्रता की दूसरी लड़ाई में विचारविमर्श तो
करेंगे, क्योंकि यह लोग ही इस बदलाव की क्रान्ति के मुख्य सिपाही होंगे जिनके बिना
यह लड़ाई जीती नहीं जा सकेगी| अतः इनकी कठिनाईयों को ध्यान में रखते हुये हमने इस
सुदर्शन चक्र की नींव रखी है, जिसमें इन लोगों की कठिनाईयाँ पूरी तरह खत्म हो जाती
हैं जिसकी वजह से वे इस दूसरी आजादी की लड़ाई में शामिल होने से हिचकिचायेंगे नहीं,
एक पुरानी कहावत है कि "संख्या की अधिकता किसी भी जंग को जीतने में महत्वपूर्ण
भूमिका अदा करती है और अगर साथ में तकनीकी ज्ञान सुनियोजित तरीके प्राप्त हो जाये
तो जीत अवश्य निश्चित है|
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इस हथियार का इस्तेमाल करके हम अपने ऐसे युवाओं को जो इस भ्रष्टतंत्र की वजह से
अपनी प्रतिभा व योग्यता को कहीं खो सा चुके हैं या खो चुकने की हालत में हैं व ऐसे
अनपढ़ वैज्ञानिक जो गाँव-गाँव व शहर में विद्यमान है, उन्हें बाहर लाने का मौका
देंगे, जिससे हमारे देश को बिना रॉयल्टी दिये कम से कम १० गुना कम कीमत पर ऐसे-ऐसे
आधुनिक स्वदेशी यंत्र प्राप्त हो सकेंगे जिसका उपयोग आम जनता व किसान अपने कार्यों
में इस्तेमाल करेंगे और आयात करने की जरूरत नहीं पड़ेगी|
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अनाज व सब्जी उत्पादक किसान इस प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हुये अनाज या सब्जी को
फेंकने की बजाय हमारे युवाओं के मार्ग दर्शन में उत्पादन क्षेत्र में ही उच्च
तकनीकी का प्रयोग करते हुये packaging का कार्य उसी क्षेत्र के श्रमिकों द्वारा
करवायेंगे ताकि उन्हें उसी जगह रोज़गार प्राप्त हो|
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इस प्लेटफॉर्म के जरिये खुदखुशी करने वाले कर्जदारों को संविधान के दायरे में रहते
हुये ऐसी सुविधा प्रदान की जायेगी जिसकी वजह से वे कभी खुदखुशी करने की सोचेंगे भी
नहीं|
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लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी के विचारों का अनुसरण करते हुये
गलत परवरिश की वजह से भेड़िये बने उन डाकू, चोर, लुटेरे व बदमाशों को
वाल्मीकी बनने का मौका दिया जायेगा|
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इस प्लेटफॉर्म के जरिये हम लोग व्यवहारिक या अव्यवहारिक दुकानदारों को सामने
लायेंगे जिससे वे ग्राहकों के प्रति समर्पण की भावना व्यक्त करेंगे|
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इस प्लेटफॉर्म के जरिये हम आवारा छेड़खानी करते लड़कों व रोड जाम करते बाहुबलियों,
टैक्सी व रिक्शा चालकों को सामने लायेंगे ताकि वे जिन्दगी के प्रति व्यवहारिक बनना
सीख सकें|
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ऐसे प्रतिभावान युवा कलाकार, जो गायकी या नृत्य में योग्य होंगे उन्हें अपने-अपने
क्षेत्र में रहते हुये ऐसे आयोजनों जैसे जन्मदिन या छोटे-मोटे
उत्सवों में मौका दिया जायेगा, जिससे वे जीविका के साथ में भ्रष्टाचार दूर
करने के प्रति लोगों को जागरूक करने का संदेश जन-जन में पहुँचायेंगे|
इसके आगे
और भी बहुत कुछ है जिसे आप वेबसाईट पंजीकृत (रजीस्टर) होकर इस्तेमाल कर सकेंगे|