स्वामी दयानंद
सरस्वती के सपनों का "आर्य समाज" क्या यह था?
हमारे देश में आर्य समाज
को काफी महत्व दिया जाता है इस देश के अधिकांशतः नागरिक इस समाज को काफी सम्मान की
नज़रों से देखते हैं| आज हमारे देश के हर क्षेत्र में आर्य समाज से संबंधित मन्दिर,
धर्मशालायें और पूजा स्थल मौजूद है जिसकी संबंधित क्षेत्र की संस्थायें देखभाल करती
हैं यह संस्थायें आर्य समाज के स्कूलों व प्रतिष्ठानों की भी देखभाल करती हैं और होने
वाली आय का उपयोग सामाजिक कार्यों व सामाजिक उत्थान में करती हैं मगर देश का हर वह
बाहुबली या असामाजिक तत्व प्रशासकीय व्यवस्था राजनैतिक लालच का लाभ लेकर उन प्रतिष्ठानों
और मलाईदार संस्थाओं पर कुछ इस प्रकार कब्जा कर लेते हैं जिससे आम नागरिकों का इन संस्थानों
और उसके प्रबंधकों से विश्वास उठ जाने के साथ-साथ इस संस्थाओं द्वारा चलाये जा रहे
उन कार्यक्रमों पर भी भरोसा नहीं रह जाता, जो सामाजिक उत्थान के लिये इन संस्थाओं को
प्रतिष्ठापित करने वाले संत-महात्माओं ने प्रतिष्ठापित किये थे| यह वाक्या आर्य समाज की इस कार्यप्रणाली में गुंडा तत्वों का
समावेश दिखाने के लिये पर्याप्त है| आर्य समाज नई कॉलोनी, गुड़गांव में (आचार्य महेश चन्द्र आर्य जी के पिताजी) 1965 से
पुरोहित एवं आर्य समाज के संचालित विद्यालय आर्य विद्या मन्दिर मे सेवारत रहते हुये
संस्था को प्रज्वलित किये हुये थे| उनके देहावसान 1996 के पश्चात उनके पुत्र आचार्य
महेशचंद्र जी ने यह जिम्मेदारी निभानी शुरू की, उन्होंने अपने शैक्षिक उपलब्धी
का उपयोग संस्थान में करते हुये इसकी आभा को चारों दिशाओं में फैला रहे हैं, जो बिना
किसी व्यव्धान के जारी था मगर 2004 में ससम्मान आर्य समाज
में धर्माचार के पद पर पुनः वापिस आने के बाद से कुछ ही महीनों बाद से संस्थान से निकालने
का षडयंत्र रचा जा रहा है जबकि पूर्ण सर्वाधिकार इनके पास|
आर्य समाज नई कॉलोनी की व्यवस्था
कभी गुड़गांव में सबसे सर्वोच्च मानी जाती थी| 1995 में
नरेन्द्र कालरा ने अपनी गिद्ध दृष्टि अपने परिवार, परिजनों, सगे संबंधियों, इष्ट मित्रों
के साथ इस प्रतिष्ठान पर रखी| इससे पूर्व लाखों रु. की हेरा-फेरी, गबन के चलते
इसे नरेन्द्र कालरा व नरेन्द्र तनेजा को "डी.ए.वी. स्कूल" खाडसा रोड़ से आजीवन
निष्कासित किया गया| नरेन्द्र कालरा के निष्कासन में कन्हैयालाल जी ने भी अहम योगदान
दिया था| 1995 से वर्तमान समय तक कालरा व उनके सहयोगियों
ने इस संस्थान को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है इन लोगों ने संस्था में सफलतापूर्वक
चल रहे स्कूल को परिवर्तन के नाम पर बंद करवा दिया जबकि संस्था के अन्दर धोखाधड़ी करते
हुये उन पैसों का उपयोग निजी स्कूल को खोलने में किया गया, इस संस्था में चल रहे क्रियाकलाप को देखते हुये हम किस तरह कह सकते
हैं कि यह वही स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के उसूलों पर चलने वाला सपनों का